पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन बाद 26 फरवरी की सुबह भारतीय वायु सेना के मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने देश के अलग-अलग हिस्सों से उड़ान भरी। उन्होंने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा स्थित बालाकोट में आतंकी संगठन जैश के ठिकानों पर हमले किए। बालाकोट उन्नीसवीं सदी से ही जिहाद के लिए कुख्यात रहा है। सैयद अहमद बरेलवी ने बालाकोट की धरती से महाराजा रंजीत सिंह के खिलाफ जिहाद की शुरुआत की थी। रंजीत सिंह की सेना ने एक साहसिक अभियान में बरेलवी के संगठन को खत्म करते हुए 1831 में वहां पनप रहे जिहाद के उन्माद पर विराम लगा दिया था। कुछ इसी तर्ज पर प्र था। कछ इसी तर्ज पर प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान कोसी को संदेश दिया कि बस अब बहुत हुआ। बालाकोट में भारतीय वायुसेना का सफल ह्वाई हमला एक शानदार सफलता है। यह हवाई हमला पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है। वह हतप्रभ रह गया। भारतीय वायुसेना ने इस साहसिक सैन्य अभियान के लिए जिस तरह लड़ाकू विमानों, शस्त्रों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का चयन किया गया वह उसके पेशेवर अंदाज की उत्कृष्ट मिसाल है। हमारी वायुसेना ने एकदम सटीक-संतुलित आकलन किया और नियत्रित हमले से अपना उद्देश्य पूरा किया। इस पर हैरानी नहीं कि पाकिस्तान की शुरुआती प्रतिक्रिया मुकरने वाली हो रहीं। ऐसा ही रवैया उसने सर्जिकल स्ट्राइक के समय भी अपनाया था। भारत के हवाई हमले ने पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ाने का काम किया है। पुलवामा हमले के बाद से ही किया है। पुलवामा हमले के बाद से ही भारत पाकिस्तान को कूटनीतिक मोर्चे पर अलग-थलग करने, आर्थिक रूप से कमजोर करने में जुटा था। अब उसने उसे सैन्य रूप से भी तगड़ा झटका दिया है। यह उसे झकझोर कर उसका मनोबल तोड़ने वाला साबित होगा। वैश्विक बिरादरी से पाकिस्तान को काटने के लिए भी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत कूटनीतिक मोर्चे पर बहुत अच्छी स्थिति में है। आतंकी गतिविधियों के लिए अधिकांश देश पहले ही पाकिस्तान की कड़ी भत्र्सना कर चुके हैं। यहां तक कि भारत चीन पर भी दबाव बना रहा है कि वह पाकिस्तान पर अपना नजरिया बदले। भारत को पाकिस्तान पर सैन्य शिकंजा कसने के लिए ईरान और अफगानिस्तान को साथ लेकर पाकिस्तान से लगी सीमा पर एक मोर्चा बनाना चाहिए। हालांकि सऊदी अरब और अमेरिका के रुख को देखते हुए ऐसे सैन्य समन्वय को लेकर तेहरान जरूर कुछ हिचक दिखा सकता है। नई दिल्ली को तेहरान को आश्वस्त करना होगा कि लड़ाई में उलझने के बजाय मामला केवल सैन्य दबाव बढ़ाने तक सीमित रहेगाइससे पाकिस्तान को अपनी उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर रय समन्वय को लेकर तेहरान अपनी उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर सेना की तैनाती के समीकरणों को नए सिरे से साधना होगा। इससे भारत का काम आसान हो जाएगा और पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की हिमाकत नहीं करेगा। पाकिस्तान इतनी आसानी से मानने वाला नहीं। उसकी आर्थिक रीढ़ भी तोड़नी होगी।
मुश्किलों से जूझ रहे पाकिस्तान को इस समय अंतरराष्ट्रीय मदद की सख्त दरकार है। यह भारत की कूटनीतिक कोशिशों का ही नतीजा है कि फाइनेंशियल एक्शन यस्क फोर्स की पेरिस में हुई हालिया बैठक में पाकिस्तान को यूँ सूची में कायम रखा गया। भारत की निरंतर कोशिशें पाकिस्तान को उत्तर कोरिया जैसा बना सकती हैं। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाएं इस्लामाबाद को काली सूची में डालकर उससे मुंह फेर सकती हैं। भारत बहराष्ट्रीय कंपनियों के लिए आकर्षक बाजार है। नई दिल्ली को इन कंपनियों के आगे शर्त रखनी चाहिए कि अगर वे भारत में कारोबार करना चाहती हैं तो उन्हें पाकिस्तान से किसी तरह का कोई कारोबारी रिश्ता नहीं रखना होगा। अपने निजी एवं कूटनीतिक संबंधों का फरकची में डालकर उससे मुंह लाभ उठाते हुए मोदी संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे देशों से पाकिस्तान को मिलने वाली वित्तीय मदद को भी रोकने की कोशिश करेंइसी तरह अगर चीन पाकिस्तान पर अपना रवैया नहीं बदलता तो भारतीय राजनीतिक दल जनता को चीनी कंपनियों के उत्पादों के बहिष्कार के लिए लामबंद करें। एक ऐसे समय जब अमेरिका चीनी आयात पर सख्ती कर रहा है तो बीजिंग भारत जैसे बाजार को गंवाना नहीं चाहेगा। भारत के पास सैन्य विकल्पों की भी कमी नहीं है। जमीनी हमलों और नियंत्रण रेखा पर अहम चौकियां कब्जाने से लेकर वैसे अचूक हवाई हमले भी किए जा सकते हैं जैसा गत दिवस किया गया। गुलाम कश्मीर में आतंकी ठिकानों को बार- बार निशाना बनाया जाना चाहिए। आतंकी ठिकानों और प्रशिक्षिण शिविरों के लिए मिसाइल और ड्रोन हमलों के बारे में भी सोचा जा सकता है। इसके अलावा मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकियों को इजरायली शैली वाले खुफिया अभियानों से ठिकाने लगाया जा सकता है। सर्जिकल स्ट्राइक भी एक विकल्प है, लेकिन कार्रवाई करके निकलने के बजाय सुरक्षा बल उस हिस्से पर काबिज भी हो सकते हैं। बलूची, सिंधी, पश्तूनों, गिलगित-बाल्टिस्तान और गुलाम कश्मीर में कश्मीरियों की मदद के लिए भी भारत को खुफिया अभियान चलाने चाहिए। इन अशांत इलाकों में अलगाववाद की आग भड़की हुई है, जिसे भुनाना चाहिएबलूची स्वतंत्रता सेनानियों की मदद के लिए पाकिस्तान की तकरीबन एक हजार किलोमीटर लंबी सीमा रेखा भी काफी काम आ सकती है। पाकिस्तान और गुलाम कश्मीरगत-बाल्टिस्तान को ‘आतंकी देश' घोषित करने की दिशा में भी कदम उठाए जाने चाहिए। इसी तरह सिंधु जल समझौता भी खत्म करने पर विचार करना चाहिए। पाकिस्तान की ओर बहने वाली नदियों पर बांध बनाकर पानी को सामरिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना होगासरकार को कश्मीर में अलगाववादी नेताओं पर भी शिकंजा कसना होगा। उनकी सुरक्षा हटाने के साथ ही ऐसे उपाय भी किए जाएं ताकि उन्हें आर्थिक खामियाजा भी भुगतना पड़े। उन्होंने अनुचित तरीकों से भारी धन-संपदा बनाई है। कश्मीरी पंडितों की जमीन कब्जाकर उन्होंने मॉल और प्लाजा बना लिए हैं। उन्हें जब्त किया जाना चाहिए। सरकार को जम्मूकश्मीर के संदर्भ में धारा 370 की भी समीक्षा करनी चाहिएसभ्य व्यवहार का जिम्मा केवल सरकार का नहीं है, बल्कि यह परस्पर होना चाहिएपाकिस्तान भारत की राह में एक बड़ा कांटा है और उसका यह चरित्र कभी नहीं बदलने वाला। पाकिस्तान के आतंकी उन्माद से निपटने के लिए दीर्घकालिक नीतियों की दरकार होगी। पाकिस्तान या उसके पिटू अगर भारत पर कभी बुरी नजर डालें तो उन्हें तत्काल रूप से जवाब देने के लिए भारत को आकस्मिक योजना तैयार करनी चाहिए। सुरक्षा बलों के लिए एक सामान्य संचालन संहिता तैयार की जानी चाहिए कि विशेष हालात में वे स्वत-कोई निर्णय कर सकें। बालाकोट में हुए हवाई हमले के बाद पाकिस्तान के सभी वर्गों में अफरातफरी का माहौल है तो इसी का परिचायक है कि उसके विकल्प सीमित हो गए हैं। अपेक्षित परिणामों के लिए भारत को अपेक्षित परिणामों के लिए भारत व्यावहारिक नीति बनानी होगी।